हिंगुल (Cinnabar) का विस्तृत विवरण
हिंगुल (Cinnabar) का विस्तृत विवरण
1. परिचय
हिंगुल (हिंगुल मणि) एक प्राकृतिक खनिज है, जिसका रासायनिक नाम सिनाबार (Cinnabar) है। यह पारा सल्फाइड (Mercury Sulfide - HgS) का मुख्य स्रोत है। इसका रंग चमकदार लाल या ईंट जैसा लाल होता है। यह मुख्य रूप से पारा (Mercury) निकालने और पारंपरिक चिकित्सा, धार्मिक कार्यों तथा रंगद्रव्य (Vermilion) के रूप में उपयोग किया जाता है।
2. रासायनिक और भौतिक गुण
- रासायनिक सूत्र: HgS (पारा सल्फाइड)
- रंग: चमकीला लाल, गहरा लाल
- कठोरता: 2 - 2.5 (Mohs स्केल पर)
- कण संरचना: त्रिकोणीय (Trigonal)
- घनत्व: 8.1 (बहुत भारी)
- धात्विक चमक: चमकीली से लेकर धुंधली तक
- रेखांकन रंग (Streak): लाल
- पारदर्शिता: अपारदर्शी से लेकर अर्ध-पारदर्शी तक
3. कहां पाया जाता है? (खनन और स्रोत)
हिंगुल मुख्य रूप से ज्वालामुखीय और हाइड्रोथर्मल (Hydrothermal) क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके प्रमुख स्रोत हैं:
- भारत: राजस्थान और मध्य प्रदेश में सीमित मात्रा में पाया जाता है।
- पाकिस्तान: बलूचिस्तान के हिंगोल राष्ट्रीय उद्यान में इसका प्रसिद्ध स्रोत है।
- चीन: गुइझोउ (Guizhou) और हुनान (Hunan) प्रांतों में समृद्ध भंडार हैं।
- स्पेन: अल्माडेन (Almadén) विश्व के सबसे बड़े भंडारों में से एक है।
- इटली: टस्कनी (Tuscany) का माउंट अमियाटा (Mount Amiata)।
- अमेरिका: कैलिफोर्निया और नेवादा में भी मिलता है।
4. हिंगुल के उपयोग
(i) पारंपरिक चिकित्सा में
- आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा में हिंगुल को विशिष्ट रूप से शुद्ध कर औषधि रूप में उपयोग किया जाता है।
- यह रसशास्त्र में एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसका उपयोग रससिंदूर, मकरध्वज, सिद्ध मकरध्वज जैसी आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है।
- इसे शुद्ध करके ही औषधीय रूप में प्रयोग किया जाता है, कच्चा हिंगुल विषैला होता है।
(ii) धार्मिक एवं सांस्कृतिक उपयोग
- सिंदूर (Vermilion) बनाने में: भारतीय परंपरा में हिंगुल से प्राप्त सिंदूर का उपयोग मांग में भरने, पूजन कार्य और तिलक में किया जाता है।
- हवन एवं तांत्रिक साधनाओं में: तांत्रिक एवं धार्मिक अनुष्ठानों में इसका उपयोग किया जाता है।
- बौद्ध धर्म में: चीन और जापान में इसे धार्मिक मूर्तियों और चित्रकारी में उपयोग किया जाता था।
(iii) पारा (Mercury) निकालने में
- हिंगुल को गरम करने पर पारा (Hg) मुक्त होता है, जो थर्मामीटर, बैटरियों और अन्य उद्योगों में प्रयोग किया जाता है।
(iv) रंग और चित्रकारी में
- प्राचीनकाल में दीवारों और मूर्तियों पर लाल रंग चढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता था।
- मिस्र और रोमन सभ्यता में इसे चित्रकारी और श्रृंगार प्रसाधनों में उपयोग किया जाता था।
5. हिंगुल से होने वाले स्वास्थ्य खतरे
- पारा विषाक्तता (Mercury Poisoning):
- हिंगुल से भाप या धूल के रूप में पारा निकल सकता है, जो फेफड़ों और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है।
- इसे सीधे छूने या सूंघने से विषाक्त प्रभाव हो सकता है।
- सावधानियां:
- इसे पीसने या जलाने से बचना चाहिए।
- कच्चे हिंगुल का सेवन न करें, केवल शुद्ध किया हुआ ही औषधीय रूप में लें।
6. ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व
- प्राचीन मिस्र: मकबरों और चित्रकला में हिंगुल का उपयोग।
- प्राचीन चीन: इसे अमृत (Elixir of Life) मानकर औषधियों में मिलाया जाता था (हालांकि इससे विषाक्तता हुई)।
- प्राचीन भारत:
- हिंगुल को शिव और शक्ति से जुड़ा माना जाता है।
- तंत्र साधना और यज्ञों में इसका प्रयोग किया जाता था।
7. आधुनिक अनुसंधान और विकल्प
- अब सिंथेटिक (कृत्रिम) लाल रंगद्रव्य बनाए जाते हैं जो हिंगुल की जगह लेते हैं।
- विषाक्तता को देखते हुए इसका उपयोग नियंत्रित कर दिया गया है।
8. निष्कर्ष
हिंगुल एक महत्वपूर्ण खनिज है, जिसका उपयोग आयुर्वेद, धर्म, चित्रकला और उद्योगों में होता है। हालाँकि, इसकी विषाक्तता को देखते हुए इसे सावधानीपूर्वक उपयोग किया जाना चाहिए। शुद्ध किया हुआ हिंगुल औषधीय रूप में उपयोगी होता है, जबकि कच्चा हिंगुल खतरनाक हो सकता है।
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